कंप्यूटर - हार्डवेयर
कंप्यूटर से जुड़े हुए हिस्सों में से कंप्यूटर का एक अहम हिस्सा होती है. ROM कंप्यूटर सिस्टम की एक प्राथमिक स्टोरेज डिवाइस है. ROM एक चिप के आकर की होती है और कंप्यूटर मदरबोर्ड से जुडी होती है. जैसाकि इसके नाम से ही पता चलता है कि ये सिर्फ कंप्यूटर डाटा को रीड (पढ़ने) करने के लिए है, आप इसमें न कुछ लिख सकते है और न ही कुछ डाल कर स्टोर कर सकते हो. ये कंप्यूटर को “boot up” और आपके जब आप अपने कंप्यूटर सिस्टम को दुबारा ऑन करते हो तो आपकी डाटा को नया जीवन (regenerate ) देती है. ROM और RAM में एक अहम अंतर होता है कि जब आप अपना कंप्यूटर बंद कर देते हो तो RAM अपना डाटा खो देता है लेकिन ROM कंप्यूटर बंद होने के बाद भी अपना डाटा नही खोती है. साथ ही ROM को अपना काम करने के लिए किसी लगातार पावर की जरूरत नही होती है, कंप्यूटर के बंद होने के बाद भी ROM अपनी इनफार्मेशन को स्टोर कर सकती है.

ROM के प्रकार :
ROM 4 प्रकार की होती है.
1. PROM (PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY)
2. EPROM (ERASABLE PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY)
3. EEROM (ELECTRIC ERASABLE PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY)
4. EAROM (ELECTRIC ATERABLE READ ONLY MEMORY)
कम्प्यूटर या फिर कोई भी आधुनिक मशीन यन्त्र दो प्रकार की घटकों से मिलकर बनता है -
1. हार्डवेयर
2 . सॉफ्टवेयर
हार्डवेयर मशीन के वो घटक है जिन्हे हम छू कर देख सकते है जो हमें आंखों से दिखाई देते है । हार्डवेयर मुख्यतया धातु या फिर प्लास्टिक के बने होते है जबकि सॉफ्टवेयर वो घटक तथा प्रोग्राम है जो मशीन को चलाने में उपयोगी है ।
इनपुट डिवाइस - कीबोर्ड, माउस, पंचिंग कार्ड आदि
आउटपुट डिवाइस - प्रिंटर, मॉनिटर, प्रोजेक्टर आदि
माध्यमिक भंडारण उपकरणों - हार्ड डिस्क, सीडी, डीवीडी, फ्लॉपी आदि
आंतरिक घटकों - सीपीयू, मदरबोर्ड, रैम, ग्राफ़िक्स कार्ड आदि
कंप्यूटर - स्मृति (Memory)
स्मृति अथवा मेमोरी का उपयोग सूचना, डाटा तथा इनफार्मेशन को भण्डारण करने में किया जाता है । कम्प्यूटर की स्मृति में सभी डाटा को स्टोर करके रखा जाता है तथा फिर प्रोसेसिंग करके उसे वापस से किसी भी समय तथा किसी भी रूप में प्राप्त किया जा सकता है । कंप्यूटर को अनेकों जटिल गणनाएं करनी पड़ती है और इन सभी गणनाओं को संसाधित करने के लिए कंप्यूटर की समृति में बहुत से सॉफ्टवेयर भंडारित किया जाते है ताकि उनका उपयोग कर कंप्यूटर सभी गणनाओं को पलक झपकते ही कर सके ।
कंप्यूटर स्मृति अनेकों छोटे छोटे भागों में विभाजित होती है, प्रत्येक भाग को सेल कहते है। हर एक सेल का एक विशिष्ट पता होता है ।
मेमोरी मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है -
1. कैश स्मृति
2. प्राथमिक अथवा मुख्य स्मृति
3. सेकेंडरी अथवा द्वितीयक स्मृति
कंप्यूटर - रैम (RAM)
रैम का पूरा नाम रैंडम एक्सेस मेमोरी है । इसका उपयोग सीपीयू द्वारा डाटा प्रोसेसिंग तथा गणना के दौरान किया जाता है । रैम का डिज़ाइन इस तरह से होता है की इसके अंदर प्रत्येक भंडारण स्थान तक पहुंचना बहुत ही आसान तथा सुगम होता है तथा सीपीयू उसे जल्दी से एक्सेस कर सकता है । रैम के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने में समान समय लगता है। रैम का उपयोग बहुत महंगा है इसीलिए कंप्यूटर में रैम बहुत सीमित मात्रा में होती है । साधरणतः कंप्यूटर 512 MB, 1024MB (1 GB), 2 GB, 4 GB, 8 GB रैम की श्रृंखला में होते है । कंप्यूटर का रैम जितना अधिक होता है कंप्यूटर की संसाधन क्षमता उतनी ही अधिक होती है तथा कंप्यूटर फ़ास्ट काम करता है । बड़ी बड़ी गणनाओं के लिए जो कंप्यूटर उपयोग में होते है उनकी रैम टैराबाइट में होती है ।
रैम के दो प्रकार है
4. स्टेटिक रैम (Static RAM)
5. गतिशील रैम (Dynamic RAM)
कंप्यूटर - रोम (Rom)
कंप्यूटर से जुड़े हुए हिस्सों में से कंप्यूटर का एक अहम हिस्सा होती है. ROM कंप्यूटर सिस्टम की एक प्राथमिक स्टोरेज डिवाइस है. ROM एक चिप के आकर की होती है और कंप्यूटर मदरबोर्ड से जुडी होती है. जैसाकि इसके नाम से ही पता चलता है कि ये सिर्फ कंप्यूटर डाटा को रीड (पढ़ने) करने के लिए है, आप इसमें न कुछ लिख सकते है और न ही कुछ डाल कर स्टोर कर सकते हो. ये कंप्यूटर को “boot up” और आपके जब आप अपने कंप्यूटर सिस्टम को दुबारा ऑन करते हो तो आपकी डाटा को नया जीवन (regenerate ) देती है. ROM और RAM में एक अहम अंतर होता है कि जब आप अपना कंप्यूटर बंद कर देते हो तो RAM अपना डाटा खो देता है लेकिन ROM कंप्यूटर बंद होने के बाद भी अपना डाटा नही खोती है. साथ ही ROM को अपना काम करने के लिए किसी लगातार पावर की जरूरत नही होती है, कंप्यूटर के बंद होने के बाद भी ROM अपनी इनफार्मेशन को स्टोर कर सकती है.
ROM के प्रकार :
ROM 4 प्रकार की होती है.
1. PROM (PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY)
2. EPROM (ERASABLE PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY)
3. EEROM (ELECTRIC ERASABLE PROGRAMABLE READ ONLY MEMORY)
4. EAROM (ELECTRIC ATERABLE READ ONLY MEMORY)
कंप्यूटर - मदरबोर्ड
मदरबोर्ड कंप्यूटर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है, यह कंप्यूटर के सभी आंतरिक भागों को जोड़ने के लिए एक मंच (प्लेटफॉर्म) प्रदान करता है । जैसा की हमने अब तक पढ़ा कंप्यूटर के अंदर बहुत सारे भाग होते है जो कंप्यूटर को चलने के लिए आवशयक है । मदरबोर्ड सीपीयू, मेमोरी, हार्ड ड्राइव, ऑप्टिकल ड्राइव, ग्राफ़िक्स कार्ड्स, मॉडेम पोर्ट्स तथा अन्य पोर्ट्स को जोड़ने का काम करता है ताकि कंप्यूटर एक यूनिट के रूप में काम कर सके । जिस प्रकार इंसान की रीढ़ की हड्ड़ी का काम होता है उसी प्रकार मदरबोर्ड को कंप्यूटर सिस्टम की रीढ़ की हड्ड़ी बोला जा सकता है ।
कंप्यूटर इनपुट उपकरण
वह उपकरण जिनका इस्तेमाल कम्प्यूटर को निर्देश देने तथा डाटा डालने के काम आते है उन्हें इनपुट उपकरण कहते है । सबसे सामान्य तथा बहुतायत में उपयोग होने वाले इनपुट उपकरण की-बोर्ड तथा माउस है । जिनका उपयोग लगभग हर कम्प्यूटर में होता है ।
नीचे कुछ प्रचलित इनपुट उपकरणों के चित्र दिए गए है -
कीबोर्ड
माउस
जॉय स्टिक
स्कैनर
माइक्रोफोन
मेगनेटिक इंक कार्ड रीडर (एमआईसीआर)
ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर (ओसीआर)
बार कोड रीडर
ऑप्टिकल मार्क रीडर
ऑप्टिकल पेन
कम्प्यूटर आउटपुट उपकरण
कम्प्यूटर में जो भी गणना तथा अन्य गतिविधियाँ होती है उनको देखने के लिए आउटपुट उपकरणों को कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है । सबसे साधारण तथा बहुतायत में उपयोग होने वाला आउटपुट उपकरण कम्प्यूटर मॉनिटर है ।
कुछ महत्वपूर्ण तथा सामान्यतः उपयोग में होने वाले आउटपुट उपकरण
1. मॉनिटर
2. प्रिंटर
3. ग्राफ़िक प्लॉटर
4. प्रोजेक्टर
मेमोरी या भंडारण इकाई सीपीयू (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट)
सीपीयू अर्थात केंद्रीय संसाधन इकाई को कंप्यूटर का मस्तिष्क भी कहा जा सकता है । यह कंप्यूटर का वह पुर्जा है जहाँ पर सारी गणनाएं तथा प्रोसेसिंग होती है, इसके पश्चात ही हमें विभिन्न गणनाओं के परिणाम हमारे सामने आते है । कंप्यूटर से जुड़े अन्य सभी उपकरणों को भी सीपीयू ही नियंत्रित करता है तथा किस उपकरण को कब और क्या काम करना है इसका निर्णय लेता है ।
सीपीयू के तीन मुख्य घटक होते है-
1. ALU (अंकगणित तर्क इकाई)
2. MU (मैमोरी इकाई)
3. CU (नियंत्रण इकाई)
कंट्रोल युनिट सारी प्रक्रिया पर नियंत्रण रखता है तथा दिए गए निर्देशों के आधार पर कार्य को ALU या MU को वितरित करता है, तत्पश्चात उनके द्वारा दिए परिणाम को आगे भेजता है| इसे कम्प्युटर का मष्तिष्क भी कहा जाता है| इनकी कार्य-क्षमता किलोहर्ट्ज़, मेगाहर्ट्ज़ तथा गिगाहर्ट्ज़ आदी में नापी जाती है| प्रोसेसर की कार्य-प्रणाली को बिट के आधार पर आँका जाता है, जैसे की 8-बिट, 16-बिट, 32 -बिट एवं 64-बिट। हर एक बिट में दो मान होते हैं (00 या 01 या 10 या 11) इस प्रकार 32-बिट में कुल 232 तक मान होते हैं। 32-बिट प्रोसेसर एक समय में कुल 232 तक के आंकडों पर कार्य करने में सक्षम होते हैं। एक प्रोसेसर में जितने अधिक बिट होंगे उनके कार्य करने की क्षमता एवं सटीकता उतनी ही प्रभावशाली होगी। 32 -बिट प्रोसेसर 32 -बिट एवं उससे कम क्षमता तक के ऑपरेटिंग सिस्टम एवं एप्लीकेशन पर ही कार्य कर सकता है 32 -बिट प्रोसेसर 64-बिट क्षमता के ऑपरेटिंग सिस्टम एवं एप्लीकेशन पर कार्य नहीं कर सकता। जबकि 64-बिट प्रोसेसर 32-बिट एवं उससे कम क्षमता तक के ऑपरेटिंग सिस्टम एवं एप्लीकेशन पर कार्य कर सकता है।
कम्प्यूटर के मुख्य कार्य
कम्प्यूटर का मुख्य काम यूजर से इनपुट डाटा लेकर उसे उपयोगी सूचना में बदलना है । कंप्यूटर एक तार्किक यन्त्र है जो साधारण इनपुट लेकर हमें कई प्रकार गणना करने में सहयोग करता है । निम्नलिखित पांच कम्प्यूटर के बुनियादी कार्य है -
क्रम संख्या
कार्य
विवरण
1.
इनपुट लेना
कम्प्यूटर में डाटा डालने की तथा निर्देश देने की प्रक्रिया
2.
डाटा भण्डारण
जब भी जरुरत हो तब डाटा प्रोसेसिंग के लिए उपलब्ध हो सके इसके लिए डाटा तथा निर्देश संरक्षित किये जाते है
3.
डाटा प्रोसेसिंग
डाटा को गणितीय तथा तार्किक गणना करके उपयोगी जानकारी में बदलने की प्रकिया
4.
आउटपुट सूचना
यूजर को गणना परिणाम जैसे की रिपोर्ट्स, ऑडियो, वीडियो आदि दिखाने की प्रक्रिया
5.
कार्यप्रवाह नियंत्रण
उपरोक्त कार्य बताये हुए तार्किक क्रम में ही संसाधित हो इसका नियंत्रण करने की प्रकिया
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